एक बार एक जंगल में हाथी और चूहा रहते थे। वह दोनों अच्छे दोस्त थे और साथ में रहते थे। एक दिन, चूहा बहुत उदास था और हाथी उससे पूछता है, “चूहा, तुम इतने उदास क्यों हो?” तब चूहा बोलता है, “हाथी, मैं अपने घर में खाने की कमी से परेशान हूं। मुझे बहुत ज्यादा भूख लग रही है।”
हाथी ने उसे आश्वस्त किया और उसे अपने मुह से कुछ खिलाया। चूहा को बहुत मजा आया और वह उसे धन्यवाद दिया। फिर दोनों कुछ समय के लिए बातें करते रहे और आराम से रहते रहे।
धीरे-धीरे, चूहा के मन में एक ख़याल आने लगा। वह सोचता था कि वह हाथी से ज्यादा बड़ा नहीं है तो फिर उसे खाने से कौन रोकेगा? फिर चूहा ने हाथी को बताया कि वह बहुत खुश होगा अगर हाथी उसे अपने मुंह में भरकर खा जाएगा। हाथी ने सहमति दे दी और चूहा अंदर घुस गया।
चूहा खुश होकर बैठा और हाथी ने अपने मुंह से फुटबॉल की तरह उसे फेंक दिया।
चूहा फुटबॉल की तरह घुमता रहा और हाथी खुश होकर उसे खाने के लिए इंतजार करने लगा। लेकिन चूहा बहुत चालाक था। जब वह हाथी के मुंह में था, तो वह बाहर नहीं निकलने देता था। इसके बजाय, वह हाथी के मुंह में रहता था और उसे भरपूर खाना खिलाता था।
इस तरह, चूहा हाथी के साथ खिलवाड़ करता रहा और खाना खिलाता रहा। धीरे-धीरे, हाथी को यह पता चल गया कि चूहा उसे धोखा दे रहा है। फिर हाथी ने चूहा को अपने मुंह से बाहर निकाल दिया और चूहा भाग निकला।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दोस्ती में दोष नहीं होता है, लेकिन धोखा देने वाले दोस्तों से सावधान रहना चाहिए।